19 May 2019 जिन्हे नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ है
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inequality
Though India has progressed many folds since then, but some problems remain and many more have cropped up. The 2019 Indian general election is currently underway, so there can be no better time to write this rendition.
जिन्हे नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ है
ये शहर, ये बाज़ार दिलकशी के
ये आपस में लुटते कारवाँ राम और रहिमत के
कहाँ है कहाँ है मुहाफ़िज़ इनायती के
जिन्हे नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ है
ये पुरपेच बातें, ये बदनाम किस्से
ये मुख़्तसर होता ईमान, ये दौलत पर मुंतजिर होते हिस्से
ये झूठे दिखावे और हसद हर किसी से
जिन्हे नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ है
ये बिमारी की जर्द में सहमी गालियाँ
ये आज भी भूख से ख़ाक होती बच्चो की किलकारियाँ
ये औधे पे बैठे रहनुमाओ की रंग रलियाँ
जिन्हे नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ है
वो ऊँची इमारतों में औछा तरन्नुम
थकी हारी कुदरत पे गरीब का जूझता तबस्सुम
तिलमिलाते किसानो को मिलता वादों का तिलिस्म
जिन्हे नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ है
ये कटते दरख़्त, ये खाक में मिलते जंगल
ये बेबाक नज़रे, ये गुस्ताख़ फिकरे
ये बुत के बंदे, ये लालच के निगेहबान
जिन्हे नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ है
मदद चाहती है ये कालिंद की बेटी
सिंधु की हमजिंस, भगीरथ की बेटी
कन्हैया की जमुना, ये चम्बा की बेटी
जिन्हे नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ है
जरा मुल्क के रहबरों को बुलाओ
ये दरिया, ये मंज़र, ये दिलकश ज़िन्दगी के पिंजरे दिखाओ
जिन्हे नाज़ है हिन्द पर उनको लाओ
जिन्हे नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ है